Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
विषयों में फंसकर बन्दे,हुआ बेखबर है।
मानव का चोला पाया, न जानी कदर है।।
सारी कायनात में तुं, सबसे निराला।
फिर क्यों पड़ा तेरा कुकर्मों से पाला।
पृभु ने दी प्रेरणा,क्यूँ हुआ ना असर है।।
फिर क्यों पड़ा तेरा कुकर्मों से पाला।
पृभु ने दी प्रेरणा,क्यूँ हुआ ना असर है।।
दुर्गुणों की कालिश तेरे मन मे समाई।
दया जो पृभु ने किन्ही, वो सारी भुलाई।
कहता घमण्ड में भर, पृभु ना इधर है।।
दया जो पृभु ने किन्ही, वो सारी भुलाई।
कहता घमण्ड में भर, पृभु ना इधर है।।
महिमा न जानी उसकी जो सबसे महान है।
सर्वशक्तिमान सारे प्राणियों का प्राण है।
दिये जिसने साधन सारे, न छोड़ी कसर है।।
सर्वशक्तिमान सारे प्राणियों का प्राण है।
दिये जिसने साधन सारे, न छोड़ी कसर है।।
धर्म को है मारा तूने, धर्म तुझको मारेगा।
रक्षा करे अगर तो पार यही तारेगा।
अंजलि तुं जानले ये धर्म की कदर है।।
रक्षा करे अगर तो पार यही तारेगा।
अंजलि तुं जानले ये धर्म की कदर है।।