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Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
वा घर जाइये हे निद्रा,जिस घर राम नाम ना भावे।
बैठ सभा में मिथ्या बोले,निंदा करे पराई।
सो घर हमने तुम्हे बताया,जाइयो बिना बुलाई।।
के तू जाइये राज द्वारे ,के रसिया रस भोगी।
म्हारा पीछा छोड़ बावली,हम तो रमते जोगी।।
ऊँचे-2महलन जइयो कामनी प्यार करायो ।
म्हारे पर के लेगी बावली,पत्थर पे सर फूडवाईयो।।
कहे भरथरी सुन री निद्रा,यहाँ नही तेरा बासा।
हम तो रहते राम भरोसे,गुरु मिलन की आशा।।