Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
उमरिया बीती जाए रे।
जीवन जल की भरी गगरिया, रीती जाए रे।।
जीवन का जो सुखद सवेरा, बीत गया वो बचपन तेरा।
उस सुंदर सपने की फिर भी, याद सताए रे।।
उस सुंदर सपने की फिर भी, याद सताए रे।।
जीवन का दोपहर जवानी, तेरी मस्ती भरी कहानी।
इस मस्ती में ओ मस्ताने, क्यों बौराए रे।।
ढलते ही मदमस्त जवानी, तेरी होगी खत्म कहानी।
सांझ समान बुढापा वैरी, फेर अरराय रे।।
ढलते साँझ अंधेरा छाए, ना कुछ सूझे न कुछ भाए।
भोले चेत फ़ौज यम की अब, बढ़ती आए रे।।
ऋषियों का संदेश यही है, मुनियों के उपदेश यही है।
जपले नाम विमल मन पृभु का, जो सुख चाहे रे।।