Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
तुं कर बन्दगी और भजन धीरे धीरे।
मिलेगी पृभु की शरण धीरे धीरे।।
दमन इंद्रियों का तुं, करता चला जा।
बना शुद्ध चाल चलन धीरे धीरे।।
बना शुद्ध चाल चलन धीरे धीरे।।
मिलेगा तुझे खोज, जिसकी है तुझको।
कर्म से जो होगी लग्न धीरे धीरे।।
कर्म से जो होगी लग्न धीरे धीरे।।
कदम नेक राहों पे, धरता चला जा।
मिटेगा ये आवागमन धीरे धीरे।।
मिटेगा ये आवागमन धीरे धीरे।।
छिड़क जल दया का, तुं सूखे दिलों पे।
बसेगा ये उजड़ा चमन धीरे धीरे।।
बसेगा ये उजड़ा चमन धीरे धीरे।।
गुरु सेवा तेरी, तेरी देश भक्ति।
दिखाएगा तेरा वतन धीरे धीरे।।
दिखाएगा तेरा वतन धीरे धीरे।।