Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
तूँ चाली जा हे, मार्ग अपने को।।
तूँ ठगनी ठगने को आई, ठगने आई मोय।
हम हैं ठगिया रामनाम के, बेच खाएँगे तोय।।
घूंघट काढ़ चली पीहर को, घूमर-२ होय।
इन गलियों में के काम तेरा, लम्बी डगरिया होय।।
इन गलियों में के काम तेरा, लम्बी डगरिया होय।।
अब पछताए क्या होत सुंदरी, दीन्हा खलक बिगोय।
सूरत देख पिया की रोइ, लाज न आई तोय।।
सूरत देख पिया की रोइ, लाज न आई तोय।।
प्रेम पियाला सोई जन पीवै, जीवत मर जा जोय।
कह कबीर सुनो भई साधो, असल जात का होय।।
कह कबीर सुनो भई साधो, असल जात का होय।।