Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
तेरा चिड़ियां ने खालिया खेत, रखवाला पड़के सो गया।
चिड़ियां खा गई खेत ने रे, तूँ मूर्ख रहा सोय।
आंख खुली जब रोवन लाग्या, फेर चेत गया होय।
बिन सत्संग बाजी खो गया।।
चिड़िया खा गई खेत ने रे, तूँ रह गया कंगाल।
पूंजी लाया सत्त पुरूष की रे, मूल गंवा दिया माल।
बिन सुमरण टोटा हो गया।।
मोह लोभ दो चिड़ी गोलिया, चुन चुन खाई ज्वार।
किस गफलत में सोग्या रे भोंदू, उठ के ने गोला मार।।
जब तेरा खेत उजड़जा रे भोंदू, हो जागा कंगाल।
घीसासन्तशरणसद्गुरुकी, फेरकुणसीअड़ावेगा ढाल।।