Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
सूरत तुं मन से यारी तोड़।
इसकी प्रीत बहुत दुख देवै, जैसे बने इसका संग छोड़।
भोगों में ये नित भरमावै, काल कर्म का बाढ़ै जोर।।
प्रीत सहित गुरु रूप ध्याओ, भागें घट के सब ही चोर।
सतगुरु खोज करो उन संग, दीन होए चित्त चरणन जोड़।
भाव सहित ले शब्द उपदेशा, घट में सुन अनहद घोर।।
दर्शन पाए मगन हो मन में, चढ़े सूरत घट में दौड़।
राधास्वामी मेहर दृष्टि से, छूटे मन की मोर और तोर।।