Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
सुन गंगाराम पिंजरा पुराना तेरा हो गया।
जब तक हंस रहा पिंजरे में, तबतक पिंजरा हरा रहा।
उड़ गया हंस पिंजरा खाली, बोलन आला निकल गया।।
पांच सात रल मता उपाया, गठरी ठठरी बांध लिया।
चार जने कंधे पे धरके, जंगल बासा करा दिया।
डाल चिता में काठ चिणा, फिर पावक उसमे लगा दिया।।
डाल चिता में काठ चिणा, फिर पावक उसमे लगा दिया।।
फूंक फांक के चले कुटुम्बी, भुगतेगा फल एक जिया।
जलमे जल मिट्टी में मिट्टी, सांस पवन में मिला दिया।
कह कबीर सुनो भई साधो, सब रचना को छोड़ दिया।।
जलमे जल मिट्टी में मिट्टी, सांस पवन में मिला दिया।
कह कबीर सुनो भई साधो, सब रचना को छोड़ दिया।।