Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
सुहागिन मैं तो होए गई हे मेरा जिस दिन मरा भरतार।
विधवा रही पति जीने से, भोगे कष्ट अपार।
जिस दिन भर गया पति हमारा,खूब करे सिंगार।।
पांच पुता ने मार के मैं भई सपूती नार।
जिस दिन मरगे दसौं भाई,सौई यही पैर पसार।।
मात-पिता के ही मरने से मिटी सभी तकरार।
सारे सुख उस दिन भोगूंगी लू सारे कुटुंब ने मार।।
कह कबीर सुनो भाई साधो इसका करो विचार।
इस त्रिया ने के सुख भोगे सारे कुटुम्ब ने हे मार।।