Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
शुभ कर्म कर सुख मिलेगा, दुख निशानी पाप की।
कहते हैं किस्मत जिसे, वो कर्म कहानी आप की।।
जानकर अनजान बनता, लोभ के धंस पाश में।
अंधा हो आनन्द लेता, अपने ही क्यों नाश में।
बख्स देगा क्या विधाता, ये ठगानी आपकी।।
छल से बल से लूटकर, जग में उड़ाए मौज तूँ।
निर्दयी बन अपने सिर पर, क्यों बढाए बोझ तूँ।
आखिर को रुलाएगी तुझे, ये नादानी आपकी।।
धर्म से इंसान है तूँ, कर्म से शैतान क्यूँ।
बेच कर ईमान अपना, बन गया बेईमान क्यूँ।
दुर्भाग्य बन कर मिलेगी, ये बेईमानी आपकी।।
महलों के हो बादशाह, तूँ नाज जिसपे करता है।
अपने स्वार्थ कारण तूँ,क्यों घड़ा पाप का भरता है।
एक दिन छिन ही जाएगी, ये रजधानी आपकी।।
छोडदे कुकर्म तूँ डर ले, कुछ तो तूँ भगवान से।
बिगड़ा मार्ग ठीक करले, अपने तूँ पुन्न दान से।
रामकिशन ना सदा चलेगी, ये मनमानी आपकी।।