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Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
सौदा करे सो जाने रे,कायागढ खुला है बाज़ार।
इस काया में हाट लाग रही,बैठे साहूकार।
व्यापारी ने पूरा तोलें,डांडी मारें सरे बाज़ार।।
व्यापारी ने पूरा तोलें,डांडी मारें सरे बाज़ार।।
इस काया में लाल बिकें,कोए परखे परखन हार।
गुरुमुख जौहरी परख पिछाने, ना नुगरां ने सार।।
गुरुमुख जौहरी परख पिछाने, ना नुगरां ने सार।।
इस काया में पातर नाचें,हंस करें व्यवहार
अर्द उरद की पायल बाजे,सुरतां सुन्न में करे सिंगार।।
इस काया में धनी विराजे,तिनके औट पहाड़।
कह कबीर सुनो भई साधो,गुरु बिन घोर अंधियार।।
अर्द उरद की पायल बाजे,सुरतां सुन्न में करे सिंगार।।
इस काया में धनी विराजे,तिनके औट पहाड़।
कह कबीर सुनो भई साधो,गुरु बिन घोर अंधियार।।