Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
सत्त के धनी मेरी रंग दो चुनरिया।।
आप रंगों चाहे मोल मंगा दो।
प्रेम नगर में खुली है बजरिया।।
जब दोगे तब ले के जांगी।
बीत जाओ चाहे सारी उभरिया।।
ऐसी रंग दो रंग नहीं छूटै।
धोबी कै धुआ लो चाहे सो सो बरियाँ।।
धोबी कै धुआ लो चाहे सो सो बरियाँ।।
कह कमाली कबीरा थारी बाली।
अब चल देखूं मैं सारी नगरियाँ।।
अब चल देखूं मैं सारी नगरियाँ।।