Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
सतगुरु बिन घोर अंधेरा,सब भरम मिटावै तेरा।।
तूँ बिछुड़ रहा है कबसे, तनै गुरु मिलावे रब से।
तुं जब से मोह ने घेरा।।
ला गुरु ज्ञान का गोता, क्यों वृथा जीवन खोता।
फिर होता है नया सवेरा।।
गुरु अखण्ड जोत प्रकाशी, गुरु साक्षात अविनासी।
तेरा कटे चौरासी फेरा।।
चल कृष्ण लाल शरण में, आवे ना जन्म मरण में।
. रोहतक में जिनका डेरा।।