Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
सब सोवेंनगरिया के लोग, साधु जन कोय कोय री जागै।
ब्रह्म आवाज हुई घट भीतर, शँख पचायन बाजै।
शब्द विवेकी विरला साधु, अगम निगम तैं आगै।।
खोटा वक़्त पहरवा ठाडा, जाने दे नहीं आगै।
मानसरोवर हंसा सोवै, बिन सद्गुरु नहीं जागै।।
मानसरोवर हंसा सोवै, बिन सद्गुरु नहीं जागै।।
मान बड़ाई गर्व ईर्ष्या, सुगरां हो सो त्यागै।
बिन त्यागै हरि कभी न मिलते, परम् भूत उठ लागै।।
धरती बरसे अम्बर भीजै, बिन बादल झड़ लागै।
कह कबीर सुनो भई साधो, ब्रह्म जोति में जागै।।
कह कबीर सुनो भई साधो, ब्रह्म जोति में जागै।।