![]() |
Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
रे मन क्यों भुला मेरे भाई हो जी
जन्म-2 के क्रम भर्म तेरे इसी जन्म मिट जाई हो जी
सपने के माँ राजा बनगया हाकिम हुक्म दुहाई
भोर भई जब लाव न लश्कर आँख खुली शुद्ध आई रे
पक्षी आंन वृक्ष पर बैठे रल मिल चौलर लाइ
हुआ सवेरा जब अपने-2 जहाँ तहाँ उड़ जाइ रे मन
हुआ सवेरा जब अपने-2 जहाँ तहाँ उड़ जाइ रे मन
मात पिता तेरा कुटुंब कबीला,नाती सागा असनाई
ये तो सब मतलब के गरजी झूठी मान बड़ाई रे
ये तो सब मतलब के गरजी झूठी मान बड़ाई रे
सागर एक लहर बहु उपजे गोनू तो गिणी ना जाइ
कह कबीर सुनो भाई साधो,उलटी ए लहर समाई
कह कबीर सुनो भाई साधो,उलटी ए लहर समाई