Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
रट ले हरि का नाम रे वैरी, सब छोड़ दे उल्टे काम।।
जिस दौलतपर तुझेहै भरोसा, जाने कब दे जाए धोखा।
ये लुट जाए सरे आम रे वैरी।।
देखक्योंहंसता सुंदरकाया,चिताबीच जबजाएगा जलाया
तेरा माँस रहे ना चाम रे वैरी।।
तेरा माँस रहे ना चाम रे वैरी।।
पापकरे ओर गंगा न्हाऐ, इससे तूँ अपने पाप छुड़ाए।
तेरा होगा बुरा अंजाम रे वैरी।।
तेरा होगा बुरा अंजाम रे वैरी।।
मथुरा और कांसी जाने से, भजन कीर्तन करवाने से।
तुझे नहीं मिले आराम रे वैरी।।
तुझे नहीं मिले आराम रे वैरी।।
रामनामसे तूँनिकलाबचकर, मोहमायाकेजालमें फंसकर
हो गया आज गुलाम रे वैरी।।
हो गया आज गुलाम रे वैरी।।
पता लगाले ब्रह्म ज्ञान का, ब्रह्मानन्द तूँ इसी रे नाम का।
ढूंढ ले ठीक मुकाम रे वैरी।।
ढूंढ ले ठीक मुकाम रे वैरी।।