कबीर राम की नगरिया
Kabir |
राम की नगरिया में काहे का ना घाटा,
करमां अनुसार मिले बांटा।
कोए तो खावे हलवा पूरी,
कोए खावे जौ का आटा।
कोए खावे जौ का आटा।
कोए तो सोवे महल अटारी,
कोए लावे तिरछा टाटा।
कोए लावे तिरछा टाटा।
कोए तो ओढ़े श्याल दुशाले,
कोए ओढ़े गूदड़ पाटा।
कोए ओढ़े गूदड़ पाटा।
कह कबीर सुनो भई साधो,
मने गुरु चरण चित्त डाटा।
मने गुरु चरण चित्त डाटा।