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Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
राम गुण गायो नहीं, आए करके।
यम से कहोगे क्या जाए करके।।
गर्भ में देखी नरक निशानी,तब तूँ कोल किया था प्राणी।
भजन करूँगा चित्त लाए करके।।
बालापनतेरोलाड़ लडायो, मातपिता तनैपालने झुलायो।
समय गंवायो खेल खाए करके।।
तरुणभयो त्रिया संग राच्यों, नट मर्कट की नाई नाच्यो।
माया में रह्यो रे भरमाए करके।।
जीवन बीत बुढापो आवै, इंद्रिय सब शीतल हो जावै।
तब रोवोगे पछताए करके।।
वेद पुराण सन्त न्यू गावैं,बार बार नर देह न पावै।
देवकी तरोगे हरि गाए करके।।