Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
मुसाफिर जागते रहना, नगर में चोर आते हैं।।
सम्भालो माल अपने को, बांध कर धर सिरहाने में।
जरा सी नींद गफलत में, झपट गठड़ी उठाते हैं।।
कपट का है यहां चलता,सभी व्यापार दिन राती।
दिखाकर सूरतें सुंदर, जाल में वो फँसाते हैं।।
कभी किसी का मत करना भरोसा,इस जमाने में।
लगा कर प्रीत मतलब की, फेर पल में हटाते हैं।।
टिकावा है नहीं करना, किसी का इस सराय में।
वो ब्रह्मानन्द जिन-२ में, सभी चल-२ के जाते हैं।।