Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
मीरा वैरागन हो गई, बाली उमरिया में।
जहर के प्याले मंगाए, जो मीरा को पिलाए।
जहर भी अमृत बन गया। बाली।।
धोखे का पलँग बनवाया, तनै मीरा कै बिछवाया।
सेज फूलों की बनगी। बाली।।
सेज फूलों की बनगी। बाली।।
जहरीले नाग मंगवाए, गले मीरा के डलवाए।
हार फूलों के बनगे। बाली।।
हार फूलों के बनगे। बाली।।
मीरा को मिले रैदासा, पूरी हुई मन की आशा।
काट दिया यम का फांसा। बाली।।
काट दिया यम का फांसा। बाली।।