Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
मीरा जाग्यो थारो भाग, हरि का रंग में।।
सर्प पिटारों राणा ने भेजो,दियो मीरा ने जाए।
खोल पिटारों देखन लागी, बनग्यो यो सल्हाद।।
शेर पिंजरा राणा ने भेजा, दियो मीरा ने जाए।
खोल पिंजरा देखन लागी, बनगी धौली गाय।।
साधु आया शहर में जी, मीरा सुनी आवाज।
तन मन से सेवा करै थी, हरि मिलन की आश।।
तन मन से सेवा करै थी, हरि मिलन की आश।।