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Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
म्हारै प्रेम संदेशी गुरु आए।
मन्दिर भयो उजास सखी री,
मंगल वचन सुहाए।
प्रीत बदरिया उमड़ घुमड़ तन
नगर माहीं झड़ लाए।
पिया मिलन को आगम उपज्यो,
मोतियन मन्दिर छाए।
मोतियन मन्दिर छाए।
बरसै क्षीर झड़ लाए कर,
निपजै रत्न सवाए।
निपजै रत्न सवाए।
नित्यानन्द निज नूर गुमानी,
म्हाने ऐसे सुख दरसाय।
म्हाने ऐसे सुख दरसाय।