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Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
मेरी तेरी-तेरी मेरी करके खो देइ उमर सारी रे
लोभी मन नहीं विचारी रे
नो दस मास गर्भ में लोटा माता थारी रे
बहार आंन के भूल गया तू शुद्ध बुद्ध सारी रे
बालपन में गौद खिलाया बहना थारी रे
शादी हो गई त्रिया आ गयी लगी हर से प्यारी रे
शादी हो गई त्रिया आ गयी लगी हर से प्यारी रे
कोढ़ी-2 माया जोड़ी बना हजारी रे
अंत समय में रीता चाला बना भिखारी रे
अंत समय में रीता चाला बना भिखारी रे
रुक गए कंठ दसों दरवाजे माची घ्यारी रे
कह कबीर सुनो भाई साधो करनी थारी रे
कह कबीर सुनो भाई साधो करनी थारी रे