Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
मेरी प्यारी सुरतिया हे, यम से तुझे बचाऊं।
शब्द सिंध में गोता लाले,निर्गुण महल दिखाऊँ।
उल्टी कदे न मुड़ कर झांके, शब्द माहीं समाउँ।।
कागपने की बाण छोड दे, हंसा तुझे बनाऊं।
विषय मांस को त्याग पियारी, मोती तनै चुगाउँ।।
विषय मांस को त्याग पियारी, मोती तनै चुगाउँ।।
सुन्न शिखर में घर है तेरा,उल्टी बाट चढाऊँ।
जहां सेती तुं बिछड़ी बावली,तहां ही ले पहुँचाऊँ।।
जहां सेती तुं बिछड़ी बावली,तहां ही ले पहुँचाऊँ।।
हिरदेदास तुं मां प्यारी,तो को बहु समझाऊं।
काम क्रोध का संग छोड़ दे, जन्म मरण मिटाऊं।।
काम क्रोध का संग छोड़ दे, जन्म मरण मिटाऊं।।