Kabir |
मेरी चुनड़ी कै लाग्यो दाग पिया।।
पांच तत्व की बनी ये चुनड़िया,
मन मूर्ख अभिमान किया।
धोवत फिरूँ दाग ना छूटै,
तन मन धन कुर्बान किया।
सतगुरु धोबी मिले सहज में,
दाग जिगर का साफ किया।
दाग जिगर का साफ किया।
झिलमिल-२ करै चुनड़िया,
कोट भान प्रकाश किया।
कोट भान प्रकाश किया।
कह कमाली कबीरा थारी बाली,
अमरापुर में वास किया।।
अमरापुर में वास किया।।