Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
मेरे हंसा परदेशी, जिस दिन तुं उड़ जायगा।
तेरा प्यारा ये पिंजरा, यहां जलाया जायगा।।
इस पिंजरे को सदा सभी ने, पाला पोसा प्यार से।
खूब खिलाया खूब पिलाया,रखा इसे सम्भाल के।
हां तेरे होते इसको, नीचे सुलाया जायगा।।
खूब खिलाया खूब पिलाया,रखा इसे सम्भाल के।
हां तेरे होते इसको, नीचे सुलाया जायगा।।
तेरे बिना तरसती आंखें,जै ना जाती साथ में।
तेरे बिना ही खाते खाना, तुं ही था हर बात में।
तेरे बुझे बिना ही सारा, काम चलाया जायेगा।।
तेरे बिना ही खाते खाना, तुं ही था हर बात में।
तेरे बुझे बिना ही सारा, काम चलाया जायेगा।।
रोए थे तो पर थोड़े दिन तक,भुलगे फेर बात नै।
ज्यादा से ज्यादा इतना कहना, करवा देंगे याद नै।
हलवा पूरी खा कर तेरा दिवस मनाया जायेगा।।
ज्यादा से ज्यादा इतना कहना, करवा देंगे याद नै।
हलवा पूरी खा कर तेरा दिवस मनाया जायेगा।।
तुझे पता है जो कुछ होना, फिरभी तूँ सोचता।
मूर्ख वो दिन भी आएगा, पड़ा रहेगा सोचता।
जन्म अमोलक खोकर प्राणी, फिर पछतायेगा।।
मूर्ख वो दिन भी आएगा, पड़ा रहेगा सोचता।
जन्म अमोलक खोकर प्राणी, फिर पछतायेगा।।