Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
मेरै लग गए बाण सुरंगी हो।
धन सतगुरु उपदेश दियो है, हो गयो चित्त भिरंगी हो।
ध्यान पुरुष की बनी है त्रिया, घायल पांचों संगी हो।
घायल की गत घायल जाने, का जाने जात पतंगी हो।
कह कबीर सुनो भई साधो, निश दिन प्रेम उमंगों हो।।