Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
मत बोवै बदी के बीज, कीमत घट जागी।।
बचपन में तो रहा अयाना, कुछ न जाना आना जाना।
किये कर्म सब नीच।।
राह रस्ते में दुनिया लूटी, तेरी सभी हिय की फूटी।
सना नर्क की कीच।।
सना नर्क की कीच।।
मां मर्यादा कोय ना राखी, जैसी आई वैसी भाखी।
लोग कहें कुबीज।।
लोग कहें कुबीज।।
बिन सत्संग सुधार न होवै, नैया तेरी पार न होवै।
बोए ना राम के बीज।।
बोए ना राम के बीज।।
सत्यानन्द सत्त पे डटजा, उर में श्री राम को रट जा।
ऐसे भक्ति पौधा सींच, के कीमत बढ़ जागी।।
ऐसे भक्ति पौधा सींच, के कीमत बढ़ जागी।।