Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
मनै लागै चुनड़ी प्यारी, प्यारी प्यारी प्यारी।
या चुनड़ी मेरी माँ के तैं आई, इसकी शोभा न्यारी।
चारों पल्लां पे नाम साहिब का, जिसमें केशर क्यारी।
इस चुनड़ी में फूल लहरिया, करता चांद खिलारी।
कथगी कमाली कबीरा थारी बाली, चुनड़ी ओढो नर नारी।।