Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
मन रहना हुशियार, एक दिन चोर सिपाही आवैगा।
तीर तंवर तलवार न बर्छी, नहीं बन्दूक चलावैगा।
आवत जात लखै ना कोई, घर में द्वंद मचावैगा।।
ना गढ़ तोड़ै ना गढ़ फोडें,ना वो रूप दिखावैगा।
नगर से कोई काम नहीं है, तुझे पकड़ ले जावैगा।।
नगर से कोई काम नहीं है, तुझे पकड़ ले जावैगा।।
नहीं फ़रयाद सुनेगा तेरी, ना कोए तुझे बचावैगा।
कुल कुटुम्ब परिवार घनेरा, एक काम नहीं आवैगा।।
कुल कुटुम्ब परिवार घनेरा, एक काम नहीं आवैगा।।
धन संपत्ति महल अटारी, छोड़ सकल तूँ जावैगा।
खोजें खोज मिले ना तेरी, खोजी खोज न पावैगा।।
खोजें खोज मिले ना तेरी, खोजी खोज न पावैगा।।
है कोई ऐसा शब्द विवेकी, गुरू गुण आए सुनावैगा।
कह कबीर सोवै सो खोवै, जागेगा सो पावैगा।।
कह कबीर सोवै सो खोवै, जागेगा सो पावैगा।।