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मन के लगाए पिया पावे रे साधो भाई-Kabir Ke Shabd-man ke lagaaa piyaa paave re saadho bhaai,

SANT KABIR (Inspirational Biographies for Children) (Hindi Edition ...
Kabir Ke Shabd 
कबीर के शब्द

मन के लगाए पिया पावे रे साधो भाई,
किस विध मन को लगावे जी
जैसे नटनी चढ़े बांस पे, नटवा ढोल बजावे जी
इधर उधर से निगाह बचावे, सूरत बांस में लावे जी।।

जैसे जल भरने गई पनिहारी,सखियां संग बतलावे जी।

सिर पे घड़ा घड़े पे झारी, झारी में सूरत लगावे जी।।

जैसे बूरा बिखरी रेत में,हाथी के हाथ न आवे जी।
ऐसा नान्हा बन मेरे मनवा,  वा चींटी चुग लावे जी।।

जैसे भुजंग चला चुगे को, मणि अलग धर आवे जी।
चुगा चुगे रहे सूरत मनि में,  बिछड़े तो प्राण गंवावे जी।।

जैसे सपेरा चला सर्प पकड़ने,गांठ अलग धर आवे जी।
कह कबीर सुनो भई साधो, नैनों से नैन मिलावे जी।।
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