Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
मैं तो जाऊंगी पिया के देश, पीहर में बहुत रही।।
पीहर बस कुकर्म कियो रे, भोगे कष्ट महान।
विषय वासना में फंसी रे, ना जानी पिया की पहचान।
उमरिया मेरी यूँ ही गई।।
पांच पुत्र पीहर में जन्मे, वे रहे द्वंद मचाए।
कुमति ननद बड़ी छड़छन्डी, नीचन के घर जाए।
वाहु से मैने बहुत कही।।
तीन हमारे भ्राता कहिए, उन में एक सपूत।
दो बजमारे संग ना छोड़ें, निरखत डोलै मेरो रूप।
काहे को भैया बहन भई।।
दो बजमारे संग ना छोड़ें, निरखत डोलै मेरो रूप।
काहे को भैया बहन भई।।
जब मैं मिलन चली सद्गुरु से, कर्म दिये छिटकाय।
पीहर को पटपटा कियो, गावैं सुरजन साध।
भर्मणा मेरी दूर हुई।।
पीहर को पटपटा कियो, गावैं सुरजन साध।
भर्मणा मेरी दूर हुई।।