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ला के फुर्सत दो घड़ी, सत्संग के मा जाया कर-Kabir Ke Shabd-laa ke phursat do ghdi, satsang ke maa jaayaa kar।

SANT KABIR (Inspirational Biographies for Children) (Hindi Edition ...
Kabir Ke Shabd 

कबीर के शब्द

ला के फुर्सत दो घड़ी, सत्संग के मा जाया कर।
बैठ सन्त के धाम पे,हरि कीर्तन गाया कर।।

काम क्रोध मद लोभ मोह ये पांचों दुश्मन तेरे हैं।
मौका लगते दांव फिराते, डाकू ठग लुटेरे हैं।
आशा तृष्णा मारके, मनपे काबू पाया कर
सन्तसमाज ओर हरिकथा ये,बड़भागी को मिलते हैं।

सत्संग की आधी घड़ी से, रोग दोष सब टलते हैं।
एक पन्थ दो काज हों,जाके फायदा ठाया कर।।

जितनी नीत हराम में रसखे, उतनी हर मे होए जी।
सीधा मुक्ति धाम मिलेगा, रोक सके ना कौए रे।
सत्संग गंगाधार है, इसमे मलमल नहाया कर।।

ये संसार सपन की माया, चिड़िया रैन बसेरा है।
जीते जी की मोहमाया, न अंत समय कोए तेरा है।
करके ख्याल हरिनाम का, कुछ तो ध्यान लगाया कर।।

चन्द्रभान शरण संतां की, हरि दर्शन को पायेगा।
श्रद्धा ओर विष्वास राख, गोविंद से गुरु मिलायेगा।
ये आनन्दी का धाम है,  दुख का कतई सफाया कर।।
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