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क्या ढूंढ रहे वन वन, घट घट में समाया है-Kabir Ke Shabd-kyaa dhundh rahe van van, ghat ghat men samaayaa hai।

SANT KABIR (Inspirational Biographies for Children) (Hindi Edition ...
Kabir Ke Shabd 

कबीर के शब्द
क्या ढूंढ रहे वन वन, घट घट में समाया है।

तेरे भीतर मेरे भीतर, उसकी तो छाया है।।

कोय तीर्थ मूरत डोलत है, कोय पत्थर पानी धोवत है।
नित पास तेरे तूँ दूर फिरे,  क्या भरमाया है।।


तूँ बाहर जतन हजार करे, पर भीतर ना उजियार करे।
मन मार थके तन हार थके, कुछ काम न आया है।।

ज्यूं सूरज चंद दिखे जल में, तालाब कूप गागर जल में।
क्यूँ राम रमे अल्लाह रमे,  कोई भेद न पाया है।।


बन सके दया करदे आराम, करदे मुश्किल घट रमे राम।
भज सत्तनाम तज कपट काम, कह चंद लखाया है।।
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