![]() |
Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
कोए आन करो व्यापार, घाटा रहता ना।
कंगला भिखारी बन के चाला, राम नाम का ओढ दुशाला।
कबहुँ ना आवे हार।।
हे सद्गुरु जी महिमा थारी, कंगले का रहता पलड़ा भारी।
तेरा भरा पड़ा भंडार।।
सत्य हिय में धर के तोले, सद्गुरु आ के बोली बोले।
ले लो नर चहें नार।।
हर दम रस्ते चलता जावे, पांच लुटेरे नहीं सतावें।
उतरा सारा भार।।
दीना दासी राह बतावें, सद्गुरु सत का सौदा करावे।
सत्यानंद गुरु सिरजन हार।।