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कहो पुरातम बात हंसा, कहो पुरातम बात || Kabir Ke Shabd-kaho puratam baat hansa, kaho puratam baat।।

SANT KABIR (Inspirational Biographies for Children) (Hindi Edition ...
Kabir Ke Shabd 

कबीर के शब्द

कहो पुरातम बात हंसा, कहो पुरातम बात।।
कहाँ से हंसा आइया रे उतरा कौन से घाट।
कहां हंसा विश्राम किया तनै, कहां लगाई आश।।

बंकनाल तै हंसा आया, उतरा भवजल घाट।
भूल पड़ी माया के वश में, भूल गया वो बात।।

अब तुं हंसा चेत सवेरा, चलो हमारी साथ।
शंसय शोग वहां नहीं व्यापै,नहीं काल की त्रास।।

सदा बसन्त फूल जहां फूलै, आवे सोहं बांस।
मन भोरे क्यों उलझ रहे हो,सुख की नहीं अभिलाष।।

मकर तार गहे हम चढ़ आए, बंकनाल प्रवेश।
सोई डोर अब चढ़ चलो रे,सतगुरु के उपदेश।।

जहां सन्तों की सेज बिछी है,ढुरे सुहंगम चौर।
कह कबीर सुनो भई साधो, सतगुरु के सिर मोर।।
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