Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
जोड़ जोड़ धर ले जितना बस जोड़ चला जागा।
दुनिया की हर चीज बावले, तूँ छोड़ चला जागा।।
वो जो गाड़ी लाया है तो, मैं भी गाड़ी लाऊंगा।
उसने घर बनवाया,उस तैं ऊंचा महल बनाऊंगा।
बेमतलब की लगा जगत में, होड़ चला जागा।।
मानस जन्म है बन्दे मत कर, कोई काम शैतानी का।
आज है कल या नहीं रहेगी, मत कर मान जवानी का।
दो गज कफ़न तूँ इस तन पे, बस ओढ़ चला जागा।।
भाई दो दिन बच्चे नो दिन, पत्नी सो दिन रोवेगी।
फिर वही त्योहार मनावेंगे, फिर हंसी ठिठोली होवेगी।
तूँ अजमेरिया सब तैं रिश्ता, तोड़ चला जागा।।