Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
जीव तूँ मत करना फिकरी।।
भाग लिखी सो हो के रहेगी, भली बुरी सगरी।।
सहस पुत्र राजा सगर के, तप कीन्हो अकरी।
थारी गत ने तूँ ही जाने, आग मिली ना लकड़ी।।
थारी गत ने तूँ ही जाने, आग मिली ना लकड़ी।।
तप करके राजा हिरणाकुश, वर पायो जबरी।
लोह लकड़ से मरो नहीं, वो मोत मरो नख़री।।
लोह लकड़ से मरो नहीं, वो मोत मरो नख़री।।
तीन लोक की माता सीता, रावण जाए हरी।
तब लक्ष्मण ने करी चढाई, लंका गई बिखरी।।
तब लक्ष्मण ने करी चढाई, लंका गई बिखरी।।
आठ पहर साहिब को रटना, ना करना जिकरी।
कह कबीर सुनो भई साधो, रहना बे फिकरी।।
कह कबीर सुनो भई साधो, रहना बे फिकरी।।