Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
झूठे रिश्ते नातों में मानव भरमाया है, झूठी ये माया है।
यहां कोई नहीं अपना, सब जगत पराया है, झूठी ये।।
भाई बंधु ओर मीत सखा,तेरे जितने प्यारे हैं।
मतलब के यार हैं ये, नहीं सदा तुम्हारे हैं।
दो दिन के ये साथी सारे हैं।
हो जिसपे गुमान करे तुं, नहीं तेरी ये काया है।।
मतलब के यार हैं ये, नहीं सदा तुम्हारे हैं।
दो दिन के ये साथी सारे हैं।
हो जिसपे गुमान करे तुं, नहीं तेरी ये काया है।।
नाम सदा उस ईश्वर का, न तेरा है न मेरा है।
चांदनी चार पहर की है, फिर वही घोर अंधेरा है।
यहां दो पल रैन बसेरा है।
हो जीवन तेरा बन्दे, आती जाती छाया है।।
चांदनी चार पहर की है, फिर वही घोर अंधेरा है।
यहां दो पल रैन बसेरा है।
हो जीवन तेरा बन्दे, आती जाती छाया है।।
तोड़ जगत के बंधन को, मुक्ति का कोई यत्न करले।
लेकर नाम परमेश्वर का,भँव से पार उतरले।
अब ध्यान हरि का तुं धरले।
हो दुनिया के भोगों में, क्यों हरि भुलाया है।।
लेकर नाम परमेश्वर का,भँव से पार उतरले।
अब ध्यान हरि का तुं धरले।
हो दुनिया के भोगों में, क्यों हरि भुलाया है।।