Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
हुई मैहर गुरु की मरण लगा परिवार
पहलम हुई राम की वाणी ,होणं लगी फेर कुनबा घाणी
फेर मरी घर की पटरानी पुत्र मर गए चार
पोते मरे पांच पच्चिसौं,और मरें तो गेहूं पिसू
लात पकड़ के बाहर घीसू ,करूँ किले तै बाहर
तीन जेठ जिनमे मरगे दोई एक बचा वो करे रसोई
जीमन वाला रहा ना कोई संतों करो विचार
जीमन वाला रहा ना कोई संतों करो विचार
दोनों मर गई दौर जिठानी,नित उठ रखें खींचातानी
सुखीराम मैं होगी सयानीसोऊंगी पैर पसार
सुखीराम मैं होगी सयानीसोऊंगी पैर पसार