Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
हे सुरतां दिये नींद नशे ने त्याग, महल मर चोरी होगी हे
हे एक चोर बताया क्रोधी, छोड़े ना मानस में शोद्धि।
हे सुरतां ला दे सै बदन में आग।।
हे एक चोर घणा अहंकारी, हे पल में बन बैठे पन्सारी।
हे सुरतां यो सारां तैं निरभाग।।
हे सुरतां यो सारां तैं निरभाग।।
कृष्ण लाल हरि गुण गाले, राम नाम की तेग उठाले।
हे सुरतां जै जाग्या जा तै जाग।।
हे सुरतां जै जाग्या जा तै जाग।।