Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
हे भगवान पता ना पाता, कौन नगर घर गाम तेरा।
कितने कदका कैसीसूरत,औरअसली है क्या नाम तेरा।।
कोय कह तनै ॐ नाम है, इस से बड़ा ना कोय।
कोय कह तनै विष्णु जी हैं, सबसे पहले होय।
कोय कह तनै शिवजी भोला, नाभि कंवल में सोय।
कोय कह तनै ब्रह्माजी हैं, वेद हैं चारों टोहे।
किस जगह पे दर्शन कर लूं,करके आदर मान तेरा।।
बड़े बडां ने जोर ला लिया, मिलना नहीं आसान तेरा।।
कोय बैकुण्ठ कैलाश बतावै, कोय कह तनै मन्दिर में।
कोय कह तनै बियाबान में, कोय कह तनै मन्दिर में।
कोय कह तनै अलख निरंजन,सबके घट के अन्दर में।
कोय कह तन नोलख तारा, कोय सूर्य कोय चन्द्र में।
गुरू बिना ना ज्ञान मिले, और ज्ञान बिना न ध्यान तेरा।।
कोय बैकुण्ठ कैलाश बतावै, कोय कह तनै मन्दिर में।
कोय कह तनै बियाबान में, कोय कह तनै मन्दिर में।
कोय कह तनै अलख निरंजन,सबके घट के अन्दर में।
कोय कह तन नोलख तारा, कोय सूर्य कोय चन्द्र में।
गुरू बिना ना ज्ञान मिले, और ज्ञान बिना न ध्यान तेरा।।
ऋषि मुनि तप कर कर मरगे, धर धर के ने ध्यान तेरा।।
कोय कह तप करके मिलजा, कोय तो ताड़ी रहा लगा।
कोय लांडाकोय कनफाड़ा, कोयतनके अंदर भष्म रमा।
कोयपुजारी कोय ब्रह्मचारी, कोय तो टाली रहा खुड़का।
कोय तो सिर पे जटा बढ़ावै, को तो रहा है लटा बढ़ाय।
लख चोरासी जियाजून में, भोग रहे भुगतान तेरा।।
तीन लोक और चौदह भुवन में, सारे कै सम्मान तेरा।।
कोय कह हवन कराकर, भरै भंडारा माया का।
कोय कह तूँ माला फेर, कट जागा दुख काया का।
कोय कह तूँ गीता पढले, क्यों दुनिया में आया था।
कोय कह पुन्न दान कराकर, जो तनै काम बताया था।।
जितनी चीज़ मुफ्त में तेरी, भूलू ना गुण शान तेरा।
साधुराम की सेवा में रामचंद्र। हो जागा कदे काम तेरा।।