Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
हरेराम मुख बोल, संकट कट जागा।।
रामनाम में लीन जो रहते, नहीं उखड़े की कौड़ी कहते।
जमे के लाखों मौल, के मनवा डट जागा।।
पाप ने सहम रहा दबको रे, आगै चालै नहीं ल्हको रे।
उड़ै खुल जा सारी पोल, पैंतरा कट जागा।।
उड़ै खुल जा सारी पोल, पैंतरा कट जागा।।
रोज करा कर भजन बंदगी, दूर हटादे विषय गन्दगी।
मन की घुंडी खोल, तो पूरा पट जागा।।
मन की घुंडी खोल, तो पूरा पट जागा।।
सत्संगकी जो आधघड़ी हो,हज़ारसाल के तपसे बड़ी हो
सन्तों का ये तोल, ना मासा घट जागा।।
सन्तों का ये तोल, ना मासा घट जागा।।
चन्द्रभान ये सन्त बताते, दोष हैं सत्संग से खो जाते।
बजै ज्ञान का ढोल, अवगुण हट जागा।।
बजै ज्ञान का ढोल, अवगुण हट जागा।।