Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
हरदम याद करो सद्गुरु ने, झूठा भर्म जंजाला है।
हाथी घोड़े अर्थ पालकी,यो धन माल सहारा है।
रामनाम धन मोटा रे साधो, जिसका सकल पसारा है।
माया मोह दो पाट जबर हैं चून पिस्या जग सारा है।।
सद्गुरु शब्द किलड़ा साँचा,लाग रहा सोई सारा है।
जड़ चेतन में आप विराजे,रूप रेख से न्यारा है।
ऐसी भूल पड़ी म्हारे दाता,कोय पावै पावनहारा है।।
घट तेरे में लाल अमोलक, बीच मे पर्दा भारा है।
सद्गुरु शब्दमहल बनासाँचा, होरहा अखण्ड उजाला है।
सद्गुरु शरण बहुत सुख पाए, निश्चय नाम अधारा है।
घीसा सन्त पंथ में धाए,तोड़ा भर्म जंजाला है।।