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हरदम पृभी न्हा री हेली, तीर्थ जाय री बला-Kabir Ke Shabd-haradam pribhi nhaa ri heli, tirth jaay ri balaay

SANT KABIR (Inspirational Biographies for Children) (Hindi Edition ...
Kabir Ke Shabd 

कबीर के शब्द
हरदम पृभी न्हा री हेली, तीर्थ जाय री बलाय।।

सांस सांस में हरी बसै म्हारी हेली दुर्मत दूर भगाए।।
सूरत सिंध पे घर करो री हेली, बैठी निर्गुण गाए।।


सत्त शब्द का राह है हेली, शील संतोष श्रृंगार।
काम क्रोध को मार के हेली, देखो अजब बहार।।

क्षमा नीर भरा री म्हारी हेली, बहे जंग निज धार।
जो न्हाय सो निर्मल री हेली,  ऐसा है निज धाम।।

घिसा सन्त न्हा रहे हेली,  धोयाँ मान गुमान।
लख चोरासी से उभरै री हेली,आवागमन मिटाए।।
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