![]() |
Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
हंसा कहाँ से आया रे,वहां का भेद बता भाई
तू तो पूरा ज्ञानी रे, इस का पद समझा भाई
धोले अम्बर धुल नहीं थी,नहीं था चंदा सूरा
उस दिन की मने खबर बता दो,कौन गुरु मिला पूरा
काया माया कुछ भी नहीं था नहीं था ॐ ओमकारा
नाभि कमल विष्णु भी नहीं था,कहाँ था हंस तुम्हारा
नाभि कमल विष्णु भी नहीं था,कहाँ था हंस तुम्हारा
जिया जून में कुछ भी नहीं था,नहीं थे मुल्ला काजी
उस दिन की मने खबर बता दो,किस दिन रची या बजी
उस दिन की मने खबर बता दो,किस दिन रची या बजी
काया में कुछ भी नहीं था,नहीं था पिंड ब्रह्मंडा
सूतक सातक काम चालू,नहीं था अठारह खंडा
सूतक सातक काम चालू,नहीं था अठारह खंडा
सोलह शंख पे तकिया हमारा,अगम महल पे चंदा
हंस सरूपी हम से निकले,काटन यम का फंदा
हंस सरूपी हम से निकले,काटन यम का फंदा
इस गैब का भेद ना पाया,अनुरागी लौ लीना
कह कबीर सुनो जति गौरख भेद ना पस्य मीना
कह कबीर सुनो जति गौरख भेद ना पस्य मीना