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गुरुआ नै आन जगाई है सखी, मैं तो भूल भरम में सोऊँ थी-Kabir Ke Shabd-guruaa nai aan jagaai hai sakhi, main to bhul bharam men soun thi।।

SANT KABIR (Inspirational Biographies for Children) (Hindi Edition ...
Kabir Ke Shabd 

कबीर के शब्द

गुरुआ नै आन जगाई है सखी,  मैं तो भूल भरम में सोऊँ थी।।
शब्द का बाण म्हारै है लाग्या, मोह ममता का झगड़ा हे भाग्या।
मैं पांच पचीस बचाई हे सखी।।


प्रेम की बूटी गुरु हमने देगे, प्रेम प्रीत के रंग में भेगे।
हरि रंग बीच में नहाई हे सखी।।

ज्ञान का साबुन गुरु हमने देगे, जन्म-२ के दाग वे धोगे।
मैं जोत में जोत समाई हे सखी।।

कह कमाली कबीरा थारी बाली, बिन सरगुरु नहीं पावै हरियाली।
में आप मे आप समाई हे सखी।।
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