Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
कबीर गुरु चरण लाग्या
गुरु चरण लाग्या रह,सोए शीश सियाणा।
तँ मन का ब्यौरा नहीं घट खोज ना जाना
मन भव रँगी हो रहा,ना मिला निशाना।
ये तन तेरा जाएगा,धर देखो न ध्याना
ये संसारी खेल है काहू खेल न जाना।
निर्मल से साधु हुए,जीने तजा गुमाना
जो खेले सो घर गए,जिने शब्द पिछाना।
जो खेले सो घर गए,जिने शब्द पिछाना।
बाजीगर की पुतली,बिच भरम भुलाना
घिसा सन्त तो न्यू कह, कोई सन्त दीवाना
घिसा सन्त तो न्यू कह, कोई सन्त दीवाना