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घट पट में लखो है दीदार,इस जग में काहे भटक रही-Kabir Ke Shabd-ghat pat men lakho hai didaar,es jag men kaahe bhatak rahi।।

SANT KABIR (Inspirational Biographies for Children) (Hindi Edition ...
Kabir Ke Shabd 

कबीर के शब्द
घट पट में लखो है दीदार,इस जग में काहे भटक रही।।

जग तो दुख द्वंद का सिंध है, नहीं पाया कोए पार।
इंगला पिंगला तज दो दोनों,जाओ सुखमना द्वार।।

तिल के भीतर तिल को देखो, दोनों तिल करो इकसार।
बाहरी वृति छोड़ो सारी,सन्त सुनो झंकार।।

कोटि सूरज चन्द्र देखो, खिले भांति-२ फुलवार।
बिजली चमके बादल गरजे, बहे अमिजल धार।।

ताराचंद महबूब मिले, जिन्हें दिया शब्द का सार।
जीवों का आवागमन छुड़ावै,जो पकड़े शरण सम्भार।।
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