Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
गाढ़ी नींद न सोवै, आगे पन्थ दुहेला।
कालबली से राड़ मंडी है,ना जानो क्या होए।।
ओघट घाट कपाट बज्र के, गुरु समझावै तोए।
निर्मल ज्ञान ध्यान साहब का, राखो चित्त पिरोये।।
निर्मल ज्ञान ध्यान साहब का, राखो चित्त पिरोये।।
सूरत निरत धर एकै घर में, दूर कर दिल की दोई।
नित्यानन्द भज स्वामी गुमानी, ये मैदान बिगोई।।